प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में विलुप्त हो रही देशी मछली ‘‘वाग्रा बैरिल’’ के संरक्षण में चंपावत स्थित राष्ट्रीय शीतजल मत्स्यिकी अनुसंधान केंद को बड़ी सफलता मिली है। निदेशालय ने 3 साल की अनुसंधान के बाद 5 हजार से अधिक अंडों को विकसित करने में सफलता हासिल की है। शीतजल अनुसंधान निदेशालय के प्रभारी वैज्ञानिक डॉक्टर किशोर कुणाल ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाने वाली वाग्रा बैरिल मछली में न्यूट्रिशन और प्रोटीन अन्य मछलियों की तुलना में कही ज्यादा होता है। उन्होंने कहा कि इस मछली की विदेशों में काफी मांग है। डॉक्टर कुणाल ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के माध्यम से किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक होगी।
neww | September 20, 2023 8:09 PM | DEHRADUN | Uttarakhand | UTTARAKHAND NEWS
चंपावत स्थित राष्ट्रीय शीतजल मत्स्यिकी अनुसंधान केंद ने विलुप्त हो रही ‘‘वाग्रा बैरिल’’ मछली के 5000 अंडों को विकसित करने में सफलता हासिल की
