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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा- रोहिंग्या की जरूरतों पर वैश्विक ध्यान तेजी से कम हो रहा हैं

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने स्वीकार किया है कि रोहिंग्या समुदाय की आवश्यकताओं पर वैश्विक ध्यान तेजी से कम हो रहे हैं। यह मानवीय प्रतिक्रिया योजना में बढ़ते कोष अंतराल से स्पष्ट है। यूएनबी के अनुसार, शेख हसीना क्या वे हमें भूल गए शीर्षक से न्यूयॉर्क में आयोजित 78वें संयुक्त राष्ट्र महासभा उच्च स्तरीय साइड इवेंट में बोल रही थीं।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने कहा कि रोहिंग्या समुदाय का मुद्दा अब गतिहीनता की बिंदु तक पहुंच चुका है। पिछले छह वर्षों में एक भी विस्थापित रोहिंग्या म्यामां में अपने घर नहीं पहुंच सके हैं। श्रीमती हसीना ने कहा कि बांग्लादेश में रोहिंग्या समुदाय के लंबे दिनों का प्रवास न सिर्फ उन्हें निराशा की ओर ले जा रहा है बल्कि इससे बांग्लादेश की स्थिति भी संदिग्ध हो रही है। उन्होंने कहा कि आतिथ्य समुदाय अपनी खुद की उदारता का पीड़ित बन चुका है।

 इसके अलावा उन्होंने कहा कि रोहिंग्या समुदाय के लंबे दिनों के प्रवास ने बांग्लादेश और पड़ोसी देशों में गंभीर सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा प्रतिक्रियाओं को बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि व्यापक तौर पर उनके कष्ट को कम करने की जिम्मेदारी हम सभी की है। मानवीय सहायता उनकी जीविका के लिए महत्‍वपूर्ण है, लेकिन इतना ही काफी नहीं है।

श्रीमती हसीना ने कहा कि हमें म्‍यांमा में उनके घर वापसी कराने और सम्‍मान तथा अनिश्चितता का जीवन बिताने की बात को सुनिश्चित करना आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि हमें उनकी जड़ की समस्‍या को दूर करने की आवश्‍यकता है, जो म्‍यांमा में है। उन्‍हें उनके देश में संरक्षण और अवसर मिलने की आवश्‍यकता है, ताकि वे अपने घरों से पलायन करने को बाध्‍य न हो सकें।

शेख हसीना ने कहा कि बांग्लादेश लम्बे समय से लाखों विस्‍थापित रोहिंग्‍याओं का आतिथ्‍य कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि बांग्लादेश एक घनी आबादी वाला छोटा सा देश है। यह ग्‍लोबल वॉर्मिंग और समुद्री जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण बुरी तरह से पीड़ित देशों में से एक है। जलवायु परिवर्तन के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की बढ़ती संख्‍या के कारण बांग्‍लादेश पर पहले से ही ज्‍यादा बोझ है।

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